गंगा नदी को देव नदी कहा जाता है क्योंकि पुराणों में उल्लेख किया गया है कि गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आई है। माना जाता है कि गंगा भगवान विष्णु के चरणों से निकली है और शिव जटाओं में इनका निवास है।
विष्णु और शिव से गंगा का संबंध होने के कारण गंगा को पतित पाविनी कहा जाता है। माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के कई पाप कट जाते हैं।
हिन्दू धर्मग्रथों में बताया गया है कि अंत काल में गंगा के समीप प्राण त्याग करने से मुक्ति मिलती है। मृत्यु के बाद आत्मा की शांति के लिए मृत व्यक्ति की अस्थि को गंगा में विसर्जन करना उत्तम माना गया है।
इन बातों से गंगा के प्रति हिन्दूओं की आस्था तो स्वभाविक है लेकिन कई मुसलमान बादशाह भी हुए हैं जिनकी गंगा में अपार श्रद्घा थी और इसी श्रद्घा के कारण हर दिन गंगा जल पीते थे। और इसके लिए वह क्या क्या जतन करते थे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे।
मुहम्मद बिन तुगलक का गंगा प्रेम
तुगलक वंश के शासक मुहम्मद बिन तुगलक के बारे में कहा जाता है कि गंगा नदी के प्रति इनकी गहरी आस्था थी। यह नियमित रूप से गंगा का जल पीते थे।अरबी यात्री 'इब्ने बत्तूता' भारत आया था। इन्होंने अपनी यात्रा वृतांत में मुहम्मद बिन तुगलक के गंगा प्रेम का उल्लेख किया है।
यात्रा वृतांत में इब्ने बत्तूता ने लिखा है कि बादशाह के लिए दौलताबाद गंगाजल लाया जाता था। गंगा जल को दौलताबाद पहुंचने में 40 दिन का वक्त लगता था।
अकबर का गंगा प्रेम कमाल का
आइने अकबरी जिसमें अकबर के जीवन की झलक मिलती है इस पुस्तक में अकबर के गंगा के प्रति प्रेम का उल्लेख मिलता है। आइने अकबरी के लेखक लेखक अबुल फजल ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि अकबर को गंगा जल से बड़ा प्रेम था।
इन्हें नियमित गंगा जल मिलता रहे इसके लिए इन्होंने 20 लोगों को काम पर लगा रखा था। जब बादशाह आगरा या फतेहपुर सीकरी रहते तब उनके लिए गंगा जल सोरों से आता और जब वह पंजाब जाते तब हरिद्वार से उनके लिए गंगा जल आता था।
इन्हें नियमित गंगा जल मिलता रहे इसके लिए इन्होंने 20 लोगों को काम पर लगा रखा था। जब बादशाह आगरा या फतेहपुर सीकरी रहते तब उनके लिए गंगा जल सोरों से आता और जब वह पंजाब जाते तब हरिद्वार से उनके लिए गंगा जल आता था।
औरंगजेब की गंगा के प्रति श्रद्घा
मुगल बादशाह औरंगजेब को हिन्दूओं के प्रति बहुत दयालु नहीं माना जाता है क्योंकि इनके शासन काल में कई ऐसे नियम कानून बनाए गए जो इनकी छवि को हिन्दू विरोधी शासक के रूप में दर्शाता है।
जबकि फ्रांसीसी यात्री 'बर्नियर' जिसने शहजादा दाराशिकोह की चिकित्सा की थी उसने अपने यात्रा वितृांत में लिखा है कि बादशाह औरंगजेब के भोजन के साथ गंगाजल भी रहता था।
बादशाह ही नहीं उनके दरबारी भी नियमित गंगा जल का सेवन करते थे। जब भी बादशाह यात्रा पर होते तब ऊॅंटों पर लदवाकर गंगा जल अपने साथ ले जाते थे। बर्नियर की इन बातों से यह ज्ञात होता है कि औरंगजेब भी गंगा के प्रति आस्था रखने वालों में से थे।
जबकि फ्रांसीसी यात्री 'बर्नियर' जिसने शहजादा दाराशिकोह की चिकित्सा की थी उसने अपने यात्रा वितृांत में लिखा है कि बादशाह औरंगजेब के भोजन के साथ गंगाजल भी रहता था।
बादशाह ही नहीं उनके दरबारी भी नियमित गंगा जल का सेवन करते थे। जब भी बादशाह यात्रा पर होते तब ऊॅंटों पर लदवाकर गंगा जल अपने साथ ले जाते थे। बर्नियर की इन बातों से यह ज्ञात होता है कि औरंगजेब भी गंगा के प्रति आस्था रखने वालों में से थे।

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